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"मंगलाचरण / रस प्रबोध / रसलीन" के अवतरणों में अंतर
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01:53, 22 जुलाई 2016 के समय का अवतरण
॥श्री गणेशाय नमः॥
मंगलाचरण
अलह नाम छबि देत यौं अंथन के सिर आइ।
ज्यों राजन के मुकुट तें अति सोभा सरसाइ॥1॥
अलख अनादि अनंत नित पावन प्रभु करतार।
जग को सिरजनहार अरु दाता सुखद अपार॥2॥
रम्यौ सबनि मैं अरु रह्यौ न्यारो आपु बनाइ।
याते चकित भये सबै लह्यौ न काहू जाइ॥3॥
जब काहू नहिं लहि पर्यौ कीन्हौं कोटि विचार।
तब याही गुन ते धर्यौ अलह नाम संसार॥4॥