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"अंग दर्पण / मंगलाचरण / रसलीन" के अवतरणों में अंतर

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।।श्री गणेशाय नमः।।

मंगलाचरण

राधापद बाधाहरन साधा करि रसलीन।
अंग अगाधा लखन को कीन्हों मुकुर नवीन...।।1।।

सो पावै या जगत मों सरस नेह को भाय।
जो तन मन तें तिलन लौं बालन हाथ बिकाय।।2।।