"अंग दर्पण / भाग 6 / रसलीन" के अवतरणों में अंतर
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नासा-वर्णन
नासा कंचन तरु भए मरकत पत्र पुनीत।
पलक फूल दृगफल भए, सुरतरु कामद मीत॥57॥
छाकि छाकि तुव नाक सों यो पूछत सब गांव।
किते निवासिन नासिके, लह्यों नासिका नाब॥58॥
नासा-बेध-वर्णन
नासा अतन तुनीर की, तीर नहीं दरसाय।
बेधउ पर के सरन को सर लों बेधत जाय॥59॥
नथ-वर्णन
नथ मुकुतन में लालरी तकि जग लह्यों प्रकास।
मुकुतन के संग नाक में रागी हिय को बास॥60॥
नत्थ मुकुत अरु लालरी सतगुन रजगुन रंग।
प्रकट कहां ते करत यह, सकल तमोगुन ढंग॥61॥
लटकन-वर्णन
ठग लटकन नथ फांस लै, पाय नासिका साथ।
मारि मरोर्यो जगत इन नट नट डोलें हाथ॥62॥
पनारी-वर्णन
ललित पनारी कलित यों, लसत अधर सुकुमार।
मनु ईवी भासत परयो चिन्ह आंगुरी भार॥63॥
अधर-वर्णन
लिखन चहत रसलीन जब तुव अधरन की बात।
लेखनि की बिबि जीभ बंधि मधुराई ते जात॥64॥
जो भा अधरन तरुनि के सोभा धरत न कोय।
याही विधि इनके परयों नाम अधर विधि जोय॥65॥
तेरस दुतियाँ दूहुन मिलि एक रूप निज ठानि।
भोर सांझ गहि अरुनई, भए अधर तुव आनि॥66॥
लाल बाल के अधर ढिग, लाल बात जनि चाल।
लाल बात सुनि सु्रति मुकुत करत बात में लाल॥67॥