भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पंजतन की स्तुति / रसलीन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रसलीन |अनुवादक= |संग्रह=फुटकल कवि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:41, 22 जुलाई 2016 के समय का अवतरण
1.
प्रथम गन रसूल, करता के मकबूल,
जगत के मूल सब जानत लौ लाक तें।
दूजे गन अली साह सेर अलह नरनाह,
दीन के भए पनाह जाह वाह ढाक तें।
तीजे हैं बुतूल, चौथे हसन इमाम गन,
पाँचवें हुसैन पुन हूजे जिन ताक तें।
बांच देख्यो प्रान जाँच, लागिहै न तिन्हैं आँच,
राचे हैं जो लेई साँच पाँच तन पाक तें॥9॥
2.
प्रथम मुहम्मद के नाम जपै आठो जाम,
पाप के जिन आइ सकल भूम सों।
पुन अली शाह को सुमिरन रसलीन कीजे,
सुन के मगन मदनी गदीरे खूम सों।
जन्नत - खातून पुन हसन हुसैन ध्यान,
कीजै जिय लै यकीन ला असाल कूम सों।
कहा करै सुरनाथ छकौ जौ तिहारी छाक,
पंजतन पाक मेरी ताक लागी तुम सों॥10॥