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"स्तुति अब्दुल कादिर जीलानी / रसलीन" के अवतरणों में अंतर

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22:43, 22 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

गौस सम दानी महबूब सुबहानी कहो,
तुम बिन दूजो कौन जाको ध्यान धरिए।
रावरे चरन दुख हरन सरन तजि,
सूझत न और जाके द्वार जाइ परिए।
इतनी अरज मेरी मानि लीजे सुखदानि
मोहि अपनोइ जान संकट को हरिए।
पापिन की भीर मध भयो हौं जो भीरु ससा,
पीर दस्तगीर आनि मेरी रच्छा करिए॥14॥