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"सुकीया को मान / रसलीन" के अवतरणों में अंतर

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मान की चाह चितै रसलीन सो रूसी प्रिया तजि संग लला को।
भौंहें मरोरि तरेरि के तेवर न्हारि रही पग के अँगुठा को।
कोप के भाव सभै लखिए तऊ देत सुभाव कहे यह वाको।
टेढ़े भए पिय सों सब अंग पै सूधो रहो मन एक तिया को॥38॥