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"अष्ट नायिका लच्छन / रसलीन" के अवतरणों में अंतर

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23:46, 22 जुलाई 2016 के समय का अवतरण

प्रोषित कहत तासों जाको है बिदेस ईस,
खंडित को कंत नित पर घ्ज्ञर बसावई।
कलहंत्र सो है जो किए कलह पछताइ,
बिप्रलब्ध नाँह को सहेट में न पावई।
उत्कंठ करै तर्क काहें तें न आए नांह,
बासक पी आवन तें आपको सजावई।
स्वाधीनपतिका पति के सदा ही आधीन रहै;
अभिसार साहस कै पीतम पैन जावई॥49॥