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"पाती बरनन / रसलीन" के अवतरणों में अंतर

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1. (उदित हाव उदाहरण)

बेनी तजो रसलीन नागरि नवीन बेनी,
तजि कै प्रबीन मुक्ति कैसे अनुमानिए।
मुक्ति न मिलत पर बाम के मिले तें स्याम,
बाम को मिलन बाम-पारायन जानिए।
आलिन के आगें नेक सकुच तो कीजिए और
सकुच के किए क्यों सो कुच उर आनिए।
कोऊ बरजौरी कहूँ होत प्रीत बरजोरी,
गोरी प्रीति बरजोरी जग में बखानिए॥82॥

2.

पाती जबै दुख काती सी आई तबै रँग राती तें छाती लगाई।
देखत नैन भयो अति चैन मनों पिय मूरति आन दिखाई।
आगम कौं हौं सुनौं जब स्रौन हियो सुख भौन भयो अति माई।
आखर दंड को कागद पै बिरहा गज को मनों साँकर आई॥84॥

3.

प्रथम बिरह ताप जरनि तरनि फुनि
कीरति बरन सुमिरन चंद टोहई।
अनुराग धरानंद बुद्ध बद्ध छंद बंद
पीत रंग जो अमंद देवगुरु सोहई।
कागद प्रमान आन सुक भयो जीह जान
सनि तो निदान मसि बान अवरोहई।
सात बार पाती मों निहारि यह पायो सार,
सात बार पाती तुव सातो बार जोहई॥85॥