भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शमा से कोई कह दे / गोपाल सिंह नेपाली" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोपाल सिंह नेपाली }} {{KKCatGeet}} <poem> .फ़िल्म ’जय भवानी’ क…)
 
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
{{KKCatGeet}}
 
{{KKCatGeet}}
 
<poem>
 
<poem>
.फ़िल्म ’जय भवानी’ का यह गीत आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेजें।
+
शमा से कोई कह दे कि तेरे रहते-रहते अँधेरा हो रहा
kavitakosh@gmail.com
+
कि तुम हो वहाँ तो मिलने को यहाँ पतंगा रो रहा
 +
सितारो उनसे कहना नज़ारों उनसे कहना सज़ा हो रही
 +
कि तुम हो वहाँ तो मिलने को यहाँ शमा रो रही
 +
सितारो उनसे कहना ...
 +
मु :तड़पता प्यार कि हो दीदार मगर दीवार हमें रोके
 +
शमा ऐसे जले जैसे पतंगे से (जुदा हो के)
 +
दुहाई देते-देते जुदाई सहते-सहते अन्धेरा हो रहा
 +
कि तुम हो वहाँ...
  
(19) फ़िल्म 'जय भवानी'
+
बँधी ज़ंजीर मगर बेपीर तेरी तस्वीर नहीं जाती
 +
सितम की बात सहें हम घात मिलन की रात (नहीं आती)  
 +
कि आहें भरते-भरते तड़प के मरते-मरते अँधेरा हो रहा
 +
कि तुम हो वहाँ...
 
</poem>
 
</poem>

10:13, 20 अगस्त 2016 के समय का अवतरण

शमा से कोई कह दे कि तेरे रहते-रहते अँधेरा हो रहा
कि तुम हो वहाँ तो मिलने को यहाँ पतंगा रो रहा
सितारो उनसे कहना नज़ारों उनसे कहना सज़ा हो रही
कि तुम हो वहाँ तो मिलने को यहाँ शमा रो रही
सितारो उनसे कहना ...
मु :तड़पता प्यार कि हो दीदार मगर दीवार हमें रोके
शमा ऐसे जले जैसे पतंगे से (जुदा हो के)
दुहाई देते-देते जुदाई सहते-सहते अन्धेरा हो रहा
कि तुम हो वहाँ...

बँधी ज़ंजीर मगर बेपीर तेरी तस्वीर नहीं जाती
सितम की बात सहें हम घात मिलन की रात (नहीं आती)
कि आहें भरते-भरते तड़प के मरते-मरते अँधेरा हो रहा
कि तुम हो वहाँ...