"ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे / राजस्थानी" के अवतरणों में अंतर
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Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
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ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे, काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे | ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे, काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे | ||
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ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे ,काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे | ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे ,काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे | ||
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साठ कळी रो घाघरो जी, कळी कळी में घेर | साठ कळी रो घाघरो जी, कळी कळी में घेर | ||
− | + | पैर बिचारा निसरे रुपया रो हो गयो ढेर | |
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ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे | ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे | ||
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म्हे ढोला थाने घणी कही जी भक्तन के मत जाई , | म्हे ढोला थाने घणी कही जी भक्तन के मत जाई , | ||
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टको लगावे गाँठ को जीरो लगाकर आई , | टको लगावे गाँठ को जीरो लगाकर आई , | ||
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ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे | ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे | ||
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म्हे ढोला थाने घणी कही जी परदेसां मत जाये , | म्हे ढोला थाने घणी कही जी परदेसां मत जाये , | ||
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परदेसां की नारियां में मत न प्रीत लगाए , | परदेसां की नारियां में मत न प्रीत लगाए , | ||
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ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे | ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे | ||
− | + | ओ ढोला | |
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जयपुर के बाज़ार में, पड्यो पेमली बोर, | जयपुर के बाज़ार में, पड्यो पेमली बोर, | ||
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नीची हुर उठावन लागी, पड्यो कमर में जोर , | नीची हुर उठावन लागी, पड्यो कमर में जोर , | ||
− | |||
ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे | ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे | ||
− | + | ओ ढोला | |
− | ओ ढोला | + | </poem> |
07:26, 9 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे, काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे
ओ ढोला
ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे ,काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे
ओ ढोला
साठ कळी रो घाघरो जी, कळी कळी में घेर
पैर बिचारा निसरे रुपया रो हो गयो ढेर
ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे
ओ ढोला
म्हे ढोला थाने घणी कही जी भक्तन के मत जाई ,
टको लगावे गाँठ को जीरो लगाकर आई ,
ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे
ओ ढोला
म्हे ढोला थाने घणी कही जी परदेसां मत जाये ,
परदेसां की नारियां में मत न प्रीत लगाए ,
ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे
ओ ढोला
जयपुर के बाज़ार में, पड्यो पेमली बोर,
नीची हुर उठावन लागी, पड्यो कमर में जोर ,
ढोला ढोल मंजीरा बाजे रे काळी छींट को घाघरो निजारा मारे रे
ओ ढोला