भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दूरी ऐं चिराग / हरूमल सदारंगाणी ‘ख़ादिम’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरूमल सदारंगाणी 'ख़ादिम' |अनुवादक...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
00:40, 8 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
फु़र्कत जी रात
तह सियारे जी उमास
ॿारियां बि खणी बत्ती न उनजो को सूद!
दूरीअ खे हटाए त न सघंदो को चिराग़?