भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"देर करीं छाकाणि? / हरि दिलगीर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरि दिलगीर |अनुवादक= |संग्रह=पल पल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
02:14, 8 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
देर करीं छाकाणि? हली अचु हाणि, सॼण तूं देर न करि।
सॼण तूं देरि न करि॥
तूं मां कोन सुभां हूंदासीं, जो अथई सो आणि।
सॼण तूं देरि न करि॥
प्रीति पखीअ जां उॾिरी वंदी, अचिणो थी, अचु हाणि।
सॼण तूं देरि न करि॥
चइनि घड़ियुनि जे लइ चांडोकी, चेहरे जी चांडाणि।
सॼण तूं देरि न करि॥
जोभनु फ़ानी, माणि जवानी, माणि जवानी, माणि।
सॼण तूं देरि न करि॥
सिक जो साजु टुटण ते आहे, तंदु न एॾी ताणि।
सॼण तूं देरि न करि॥