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"उञायल बुखायल रूहु / हरि दिलगीर" के अवतरणों में अंतर
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अझल सूंहं जे खेत अंदर,
जिते आहि जीवन जो झरिणो, उते ई,
रिवाजनि ऐं रस्मुनि जो पिञिरो टंगियलु आ,
उन्हीअ में अची आहि फाथो,
पखीअड़ो (उहो रूहु इन्सान जो आ)
उहो खेत में आ बुखायलु,
ऐं झरिणे अॻियां आ उञायलु।
छुटण जो तरीक़ो नज़र में न आहे,
उते ई,
उञुनि ऐं बुखुनि में,
मरी नेठि वेंदो।