भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सरोवर / हरि दिलगीर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरि दिलगीर |अनुवादक= |संग्रह=पल पल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
02:21, 8 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
ही सुन्दर सांतीको सरोवर,
मन खे केॾो मोहे थो,
पर शायद ई कंहिं खे कल आ,
किचिरो, जंहिं जो काथो कोन्हे,
हिन जे तर में आहि सथयलु।
हीउ किहिड़े ई पत्थर सां,
लहरूं लहरूं थी पवंदो,
किचिरो मथ ते निकिरी ईंदो,
जिअं मन जे सरोवर में।