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"काँचनाद्रि-कमनीय कलेवर / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर

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(राग कामोद-तीन ताल)
काञ्चनाद्रि-कमनीय कलेवर कदली-बन राजत अभिराम।
 हेम-मुकुञ्ट सिर, भूषण भूषित, अर्ध-निमीलित नेत्र ललाम॥
 वरद पाणि वपु, ध्यानमग्र मन, भक्त-कल्पतरु, नित्य निकाम।
 राघवेन्द्र-सीता-प्रिय-सेवक मन-मुख सदा जपत सियाराम॥