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"शुद्ध सच्चिदानन्द दिव्य वपु / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर

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(राग आभोगी-ताल दीपचंदी)

शुद्ध सच्चिदानन्द दिव्य वपु मधुर अखिल जगके स्वामी।
 सबके परमेश्वर, सबके ही साक्षी सर्वान्तर्यामी॥
 धर्मस्थापक, दुष्टस्न्दलन-कर्ता, सत्‌‌-संरक्षणकारी।
 संधि-दूत बन चले स्वयं श्रीकृष्णभक्त-संकट-हारी॥