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"दुर्गा दुर्गा रटत ही / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर

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(राग पीलू-ताल कहरवा)

दुर्गा दुर्गा रटत ही सब संकट कटि जाय।
 दुर्गा जननी सुत सदृश संतत करै सहाय॥