भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आरति गजवदन विनायक की / हनुमानप्रसाद पोद्दार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:00, 29 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण

(ध्वनि आरती)

आरति गजवदन विनायक की।
 सुर-मुनि-पूजित गणनायक की॥-टेक॥
 एकदन्त शशिभाल गजानन,
 विघ्रविनाशक शुभगुण-कानन,
 शिवसुत वन्द्यमान-चतुरानन,
 दुःख-विनाशक सुखदायक की॥-सुर०॥
 ऋञ्द्धि-सिद्धि-स्वामी समर्थ अति,
 विमल बुद्धि दाता सुविमल-मति,
 अघ-वन-दहन, अमल अबिगत-गति,
 विद्या-विनय-विभव-दायक की॥-सुर०॥
 पिन्गल नयन, विशाल शुण्डधर,
 धूम्रवर्ण शुचि वज्रांकुश-कर,
 लबोदर बाधा-विपाि-हर,
 सुर-वन्दित सब बिधि लायक की॥-सुर०॥