भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तिमपत्ता / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKRachna |रचनाकार=सुमन सूरो |अनुवादक= |संग्रह=रूप रूप प्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:11, 30 नवम्बर 2016 के समय का अवतरण
सिर-सिर-सिर दखिना में सिहरै छै प्राण,
कमलोॅ के कोंढ़ी में ऐलै जुआनी
कुमारिये में लागलोॅ छै बीहा के पानी।
गँदला बिचारोॅ रं छँटलोॅ छै मेघ,
साधू के हिरदय रं निरमल आकाश
जुआनी रं बही गेलै अन्हर-बतास।
लाल-लाल आँखी के डोरोॅ छै,
मुहों केॅ दुक्खें ने लेने छै लुजगी
साँय बिना होलोॅ छै उजगी।
मिटै छै तहियैलोॅ लालो गुलाबोॅ के,
रंगोॅ-अबीरोॅ के भै रल्छै अंत
जीवन सें ढलै छै जीवन-वसन्त।