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"औरत को यदि / मनीषा जैन" के अवतरणों में अंतर

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17:20, 5 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

औरत को यदि मिल जाए
प्रिय के अनुराग का स्वर
उसी राग को वह
बना देगी प्रेम का सागर

आकाश में उड़ा लेगी
आशाओं की पतंगे
आँखों में रोशनी के जुगनु
पेड़ो पर टांग देगी
उम्मीदों के दिये
घर में फुदकेगें
तमन्नाओं के खरगोश

चांद और सूरज हर रोज
पानी भरने आयेंगे उसके घर

औरत को यदि मिल जाए
उसके हिस्से का घर
तब सच होते हैं
आँखों के सपने
जो बन जाते है उसके अपने
वह खड़ी हो पाती है
जमीं पर पैर जमा कर।