भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मोगली अञा मोॻिली / मुकेश तिलोकाणी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश तिलोकाणी |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

17:45, 6 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

मोगली,
अञा मोॻिली।
उहाई हलति
साॻी खिलि खिलि
बिति बितियो आवाजु़
साॻी चाॻिलाइप।
खिलंदे, खिलंदे
सोचींदे, ॻाल्हिाईंदे
टिपिण ते धक ठा।
वर-वर, हणे पाण खे।
पाण खे रखे खुशि,
सदाईं मस्तु।
अध, सदीअ बैदि बि
मोगली, साॻी मोॻिली।
को बि फ़र्कु न।
अञा ॿाराणी ॿुधी
नंढी सोंच,
फथिको ऐं लोछ।
ॾिसंदे
यादि ॾियारे ॿालपिणु।
उहे ई ॻाल्हियूं
साॻियूं आदतूं
अञा पाण साणु।
मोगली,
अञा मोॻिली।