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"तुंहिंजे सदिके / मुकेश तिलोकाणी" के अवतरणों में अंतर
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या कथा कयां
या प्रवचन ॿुधां
जीवन
आनंद दायक पियो गुज़िरे।
को फ़िकिरु नाहे
कुझु विञायो
तुंहिंजे नांअ सदिके
का परवाह नाहे।
हाणि जानिवरन जियां,
पुछु लोॾे
बिना तकलीफ़ जे
हासिल थिए पई रोटी।
दोस्ती,
ईमान,
अनुभव,
रोज़गार।
डोड़ंदो वञे पियो वक़्तु
डुकंदी वतां पई आऊं
कुरकंदो रहे पियो बाबो।