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हिन मइख़ाने जो
थधो नशो
ॿीणो करे
जीउ आज़ारु।
सुबुह शाम
ॾींहुं राति
मस्ती महिफिल
खि़ल चरिचो
कॾहिं-कॾहिं
घुट सू/साट।
इहो, कहिड़ो मज़ो?
छा जो आनंद?
बसि, डुकंदड़ि वक़्त
जीअंदड़ माण्हूं
टाईम पास।