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"मकड़ी ने क्या पाया / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर

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17:25, 15 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

मकड़ी ने कितनी मुश्किल से
बुने हुए थे जाले।
मम्मी ने लंबी झाड़ू से
सफाचट्ट कर डाले।
मम्मी खुश है, झाडू खुश है,
मकड़ी ने क्या पाया?
बना-बनाया घर अपना
झाडू के हाथ गँवाया।