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"किताब मेरी / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर

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17:29, 15 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

रात हो गई, तू भी सो जा
मेरे साथ, किताब मेरी!
सपनों की दुनिया में खो जा
मेरे साथ, किताब मेरी!

बिछा दिया है बिस्तर तेरा
बस्ते के अंदर, देखो!
लगा दिया है कलर-बॉक्स का
तकिया भी सुंदर, देखो!
मुँह फुल्ली, अब तो खुश हो जा
मेरे साथ, किताब मेरी!

तुझे पता है, सुबह-सुबह
फिर जगना है हम दोनों को।
भागम-भागी में स्कूल
निकलना है हम दोनों को।
फड़-फड़ न कर, अब चुप हो जा
मेरे साथ, किताब मेरी!