भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"स्काई टूर / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तैलंग |अनुवादक= |संग्रह=मेरे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:30, 15 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
डोरी से पतंग की चिपकी।
आसमान पर पहुँची मक्खी।
तेज हवा, माथा भन्नाया।
बोली-‘उफ्फोः, मज़ा न आया’।
वापस जब धरती पर आई,
अखबारों में खबर छपाई।
‘यह मेरा स्काई टूर था।
बोर हुई मैं, बहुत दूर था।’