भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पापा! घोड़ा बनो / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तैलंग |अनुवादक= |संग्रह=मेरे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:33, 15 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
पापा! घोड़ा बनो
पापा! घोड़ा बनो
रूठा बैठा हूँ कब से
मनाओ मुझे,
न बहाने बनाकर
रुलाओ मुझे,
पापा! घोड़ा बनो
पापा! घोड़ा बनो
चलो, जल्दी पिठोली
चढ़ाओ मुझे,
पूरे कमरे का चक्कर
दिलाओ मुझे
पापा! घोड़ा बनो
पापा! घोड़ा बनो
हिनहिनाकर जरा-सा
दिखाओ मुझे,
रो चुका हूँ बहुत
अब हँसाओ मुझे,
पापा! घोड़ा बनो
पापा! घोड़ा बनो