भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"छाता / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तैलंग |अनुवादक= |संग्रह=मेरे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:36, 15 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
सबके छाते काले,
मेरा सात रंग का छाता।
बारिश हो या धूप सभी से
मुझको सदा बचाता।
तेज हवा में लेकिन यह
अक्सर उल्टा हो जाता।
तब झंझट-सा लगता मुझको,
कुछ भी समझ न आता।
इसीलिए जिस दिन भी इसको
अपने साथ न लाता।
बहुत-बहुत ‘मिस’ करता है,
तब मुझको मेरा छाता।