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"डर का भूत / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर

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17:49, 15 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

डर का भूत
निडर के आगे,
टिके न, भागे।

सोलह आने सच्ची-सच्ची
बात है भैया।
डरपोकों की दुनिया में बस
रात है भैया।
उस दुनिया में
लाल सवेरा
कभी न जागे।

जिसकी मुट्ठी में रहता
हिम्मत का मोती।
उसकी किस्मत नहीं
किसी ने देखी रोती।
मेहनत वाला
कभी किसी से
कुछ न माँगे।