भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कविता एक बनाएँ / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश तैलंग |अनुवादक= |संग्रह=मेरे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:34, 16 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
आओ, हम भी प्यारी-प्यारी
कविता एक बनाएँ।
जोडें़ तुक, शब्दों की माला
संुदर एक सजाएँ।
जिसमें अपना दुख-सुख
और कहानी बस अपनी हो।
कविता कैसी भी हो लेकिन
बानी बस अपनी हो।
सहज, सरल हो, नहीं चाहिए
भारी-भरकम मोटी।
हम छोटे-छोटे बच्चों की
कविता भी हो छोटी।
जिसे सीखना पड़े किसी से
क्या वह भी कविता है?
जिसे स्वयं आ जाए गाना
वह अच्छी कविता है।