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"सड़कें खाली करो / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर
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सड़कें खाली करो कि बच्चे आते हैं।
ऐंबुलेंस, फायर ब्रिगेड को
जैसी जल्दी होती है,
कुछ-कुछ वैसी ही हम
बच्चों की सरदर्दी होती है,
पर शहरों के लोग समझ कब पाते हैं।
वी.आई.पी. गुजरें तो
कुछ और नजारा होता है,
उन्हें पता क्या बच्चों का
किस तरह गुजारा होता है
पेपर देने तक से वे रह जाते हैं।
कॉलोनी के अंदर अब
घुसपैठ हो चुकी कारों की,
नहीं किसी को चिंता है पर
बच्चों के अधिकारों की,
वैसे बाल-दिवस पर कसमें खाते हैं।
सड़कें खाली करो कि बच्चे आते हैं।