भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सुबह का गीत / प्रकाश मनु" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रकाश मनु |अनुवादक= |संग्रह=बच्च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:39, 16 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

ठंडी-ठंडी हवा चली है
खुशबू बिखरी गली-गली है,
लगता जैसे प्याला भर-भर
पिला रही सबको ठंडाई।
सुबह हुई है, जागो भाई!

मंदिर में पूजा की घंटी
पुस्तक लेकर बैठा बंटी,
‘दूध-दूध’ की सुनी पुकार
बरतन लेकर दौड़ीं ताई!
सुबह हुई है, जागो भाई!

होमवर्क छुटकू का होना
छुटकी का भी रोना-धोना,
दादा जी छज्जे से बोले-
चाय अभी तक नहीं बनाई!
सुबह हुई है, जागो भाई!

इतने में आया अखबार
लेकर खबरों का संसार,
पापा बोले-बुरी खबर है
पर जीतेगी सदा भलाई!
सुबह हुई है, जागो भाई!

जल्दी उठकर जरा नहा लो
मल-मल सारी मैल बहा लो,
जो लिहाफ ओढ़े सोते हैं
आएगी कल उन्हें रुलाई!
सुबह हुई है, जागो भाई!