भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रॉकेट एक चलाऊँगा मैं / प्रकाश मनु" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रकाश मनु |अनुवादक= |संग्रह=बच्च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:42, 16 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
रॉकेट एक चलाऊँ मैं,
अंबर तक उड़ जाऊँगा मैं।
तारेां को छूँ आऊँगा मैं,
सबसे हाथ मिलाऊँगा मैं।
कैसे अपने चंदा मामा,
कैसी उनकी घोड़ी श्यामा!
बैठ उसी पर आसमान में,
दिखलाते हैं हर पल ड्रामा।
सूरज दादा हैं गुस्सैल,
उनके साठ हजार बैल।
उनसे खेती करवाते हैं,
ना हँसते, ना मुसकाते हैं।
आऊँगा जब उड़कर नीचे
किस्से खूब सुनाऊँगा मैं,
रॉकेट एक चलाऊँगा मैं!