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"जंगल / ब्रजेश कृष्ण" के अवतरणों में अंतर
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जंगल को पार किये बिना
पार नहीं होता जीवन
जीवन को पार करना
गुज़रना है जंगल से
जंगल से गुज़रता हुआ मैं
पार करता हूँ
पेड़/चिड़िया/झाड़ी/काँटे
फल/घास/डर/हवा
और जंगल का रोमांच
मगर पार नहीं होता जंगल
शायद मैं पार नहीं करना चाहता जंगल
मैं होना चाहता हूँ जंगल में बाँस
और बाँस में बाँसुरी
मैं गाना चाहता हूँ जंगल का नाद।