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"बाँधकर तूफान को / श्रीप्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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12:28, 20 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण

हम चलेंगे बाँधकर तूफान को
तोड़ देंगे आँधियों के मान को

जिस तरह उठती समुंदर में लहर
जान पड़ता, ढा रही है वह कहर
दाँव पर देंगे लगा हम प्राण को
हम चलेंगे बाँधकर तूफान को

हैं खड़े पर्वत हमारी राह में
विघ्न हैं कुछ खंदकों के, चाह में
कर सकेंगे कम नहीं इस मान को
हम चलेंगे बाँधकर तूफान को

जो बढ़ा है, सीढ़ियों पर वह चढ़ा
हो सका है वही मंजिल पर खड़ा
समझ वाले ने लिया इस ज्ञान को
हम चलेंगे बाँधकर तूफान को

सदा सेवा भाव ही सबके लिए
हम जिएँ जैसे भला मानस जिए
हम बढ़ाएँ बस इसी पहचान को
हम चलेंगे बाँधकर तूफान को।