भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चिड़िया और शिकारी / श्रीप्रसाद" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीप्रसाद |अनुवादक= |संग्रह=मेरी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:56, 20 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
एक पेड़ पर छिपकर आया
चिड़िया सुंदर तीर चलाया
बैठी खुशदिल चिड़िया प्यारी
सबसे हिलमिल वह बेचारी
गाना गाती नीचे आई
मन बहलाती और चिल्लाई
चींचीं चूँचूँ चींचीं चूँचूँ
चींचीं चूँचूँ चींचीं चूँचूँ
गाना गाती मरी बेचारी
रस बरसाती चिड़िया प्यारी
तभी शिकारी गाना गाती
अत्याचारी मन बहलाती
अब बगिया में मीठे-मीठे
कौन गीत गाएगा
कोई भी पक्षी डरकर
अब
यहाँ नहीं आएगा
बाग लगेगा कितना सूना
होगा यहाँ न गाना
चिड़िया गई और मीठे
गीतों का गया खजाना।