भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सौ बच्चों ने / श्रीप्रसाद" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रीप्रसाद |अनुवादक= |संग्रह=मेरी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:05, 20 फ़रवरी 2017 के समय का अवतरण
अक्कड़ बक्कड़ बंबे भो
अस्सी नब्बे पूरे सौ
सौ बच्चों ने गाना गाया
बड़ी जोर का शोर हुआ
जैसे अनगिन चिड़ियाँ चहकीं
सूरज आया, भोर हुआ
रंगबिरंगी पोशाकें हैं
मानो सुंदर फूल खिले
एक राग है, एक तान है
गाते हैं सब हिलेमिले
हँसी सभी के चेहरे पर है
बड़ी अजब हैं आँखें भी
सुंदर पोशाकें लगती हैं
बच्चों की हैं पाँखें भी
गाकर गीत सभी ये बच्चे
करते हें गुलजार गगन
एक साथ इतनी आवाजें
सुनकर खुश होता है मन
अक्कड़ बक्कड़ बंबे भो
अस्सी नब्बे पूरे सौ।