भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"वेहड़े आ वड़ मेरे / बुल्ले शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बुल्ले शाह |अनुवादक= |संग्रह=बुल्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:36, 6 मार्च 2017 के समय का अवतरण
भावें जाण ना जाण वे, वेहड़े आ वड़ मेरे।
मैं तेरे कुरबान वे, वेहड़े आ वड़ मेरे।
तेरे जिहा मैनूँ होर ना कोई,
ढूँढ़ा जंगल बेले रोही।
ढूँढ़ा ताँ सारा जहान वे, वेहड़े आ वड़ मेरे।
लोकाँ दे भाणें चाक मही दा,
राँझा ताँ लोकाँ विच्च कहींदा।
साडा ताँ दीन ईमान वे, वेहड़े आ वड़ मेरे।
मापे छोड़ लगी लड़ तेरे,
शाह इनायत साईं मेरे।
लाईआँ दी लज्ज<ref>शर्म</ref> पाल वे, वेहड़े आ वड़ मेरे।
शब्दार्थ
<references/>