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"अभी विहाग नहीं / द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी" के अवतरणों में अंतर
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तुम जाना चाहो तो जाओ
मैं तो अभी नहीं जाऊँगा।
हुई देर कितनी आए ही
राग भैरवी को गाए ही
अभी विहाग न गा पाऊँगा।
मैं तो अभी नहीं जाऊँगा।1।
अभी शरद ऋतु आई ही है
शशि की हुई सगाई ही है
मैं न अमावस बन पाऊँगा।
मैं तो अभी नहीं जाऊँगा।2।
अभी हेमंत हुआ ही तो है
अभी बसंत लगा ही तो है
अभी न संत कहा पाऊँगा
मैं तो अभी नहीं जाऊँगा।3।
गंगाजली जब कि भर लूँगा
गीतांजलि पूरी कर लूँगा
उठ कर तभी चला जाऊँगा।
मैं तो अभी नहीं जाऊँगा।4।
17.4.85