भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्यार / विनोद शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनोद शर्मा |अनुवादक= |संग्रह=शब्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:49, 15 मार्च 2017 के समय का अवतरण

फूल झर जाते हैं
उनकी खुशबू नहीं झरती
विलीन हो जाती है वायुमंडल में

महकाती रहती है
उसका कोई न कोई हिस्सा

हम मर जाएंगे
हमारा प्यार नहीं मरेगा
विलीन हो जाएगा सृष्टि में
अनुप्राणित करता रहेगा
उसका कोई न कोई हिस्सा।