भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"टकटकी लगाए मैं / विष्णुचन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णुचन्द्र शर्मा |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:14, 17 मार्च 2017 के समय का अवतरण

यह जो आकाश को
बेधने की होड़ लगी है
मकानों में।
हडसन नदी
उसे नहीं देख रही है।

टीना तुम्हारे पीछे हडसन नदी
छू रही है न्यूजर्सी को
नावें काट रही हैं जल को
(जैसे मैं, रोज खुद को
मथता हूँ
और गंगा के तट पर पहुंच जाता हूँ)
हडसन की बालकनी में...
औरतें कुत्तों को दौड़ा रही हैं।
लड़कियाँ स्केटिंग कर रही हैं
और मैं टीना की फोटो खींच कर
कह रहा हूँ- ‘विदा’।
अभी कई सड़कें पार करनी हैं’।
बस में टकटकी लगाए मकैं
देख रहा न्यूयार्क को।