भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"संवाद / विष्णुचन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णुचन्द्र शर्मा |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:15, 17 मार्च 2017 के समय का अवतरण
उजले फूल दुकान के
थके से लगे मुझे।
मैंने पूछा खुद से: ‘गुलाबी फूल कहीं बंद हैं तुम्हारे भीतर!’
क्या तुम्हारा किशोर खो गया है पारी में
दुकान में सजे फूल
चुपचाप सोचते हैं: रंग पर, ताज़गी पर, उमंग पर
तुम क्या खो चुके हो पारी में।