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"बगुले / विष्णुचन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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11:51, 17 मार्च 2017 के समय का अवतरण

बगुलों ने
न धान के खेत रोपे हैं
न हरे खेतों की निराई की है!
बस वे
गाढ़े रंगों की साड़ी पहने
खेतों की औरतों का हाथ बटा रहे हैं।
और औरतें
गा रही हैं खुले कंठ से गान!