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"कस्बाई अस्पताल में / ब्रजेश कृष्ण" के अवतरणों में अंतर

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16:59, 20 मार्च 2017 के समय का अवतरण

निस्पृह ऊंची दीवारें
लाठी टेककर चलता हुआ बूढ़ा पंखा
कस्बे के टोपी आदमियों से
गपशप करता थुलथुल डाक्टर
और लम्बे तटस्थ बरामदे में
भिनभिनाते मरीज और मक्खियां।

मैं बगल में बैठी
पीली लड़की की आंखों में शिकायत
और पहुंच से ऊपर टंगी
शिकायत पेटी में उसकी आंखें देखता हूं।

और सामने के ठूंठ हो गए पेड़ में
तेजी से समा जाता हूं।