भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"114 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:41, 31 मार्च 2017 के समय का अवतरण

सुलतान भाई आया हीर संदा आखे मां नूं घिऊ नूं ताड़ अम्मां
असां फेर जे बाहर एह डिठीसुटां एसनूं जान थीं मार अम्मां
तेरे आखयां सतर<ref>परदा</ref> जे ना बैठी फेरां एसदी धौन तलवार अम्मां
चाक वड़े नाहीं साडे विच बेहड़े नहीं डकरे करांगे चार अम्मां
जेकर धी ना हुकम विच रखियाई सभ साड़ सुटां घर बाहर अम्मां
वारस शाह जेकर धी बुरी होवे रोहड़ दे समुंदरों पार अम्मां

शब्दार्थ
<references/>