भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"116 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:03, 31 मार्च 2017 के समय का अवतरण

काज़ी आखदा खौफ खुदाई दा कर मापे जिद चढ़े चा मारनी गे
तेरी किआड़ीयों<ref>तालू से</ref> जीभ कढा सुट्टण मारे शरम दे खून गुजारनी गे
जिस वकत दिता असां चा फतवा उस वकत ही मार उतारनी गे
वारस शाह कउं तरक<ref>त्याग</ref> बुरयाइया नूं नहीं अग दे विच निधारनो गे

शब्दार्थ
<references/>