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"179 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

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11:30, 31 मार्च 2017 के समय का अवतरण

रांझे आखया मूंहों की बोलना ए घुट वट के दुखड़ा पीवना ई
मेरे सबर दी दाद जे रब्ब दिती खेड़े हीर सयाल ना जीवना ई
सबर दिलां दे मार जहान पटन उच्ची कासनूं असां बकीवना ई
तुसीं कमलियां इशक थीं नहीं वाकफ नेहुं लावणा निंम दा पीवना ई
वारस शाह जे चुप थीं दाद पाईए उची बोलयां वहीं विहीवना<ref>गुजारा नहीं</ref> ई

शब्दार्थ
<references/>