भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"183 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:31, 31 मार्च 2017 के समय का अवतरण
खेड़यां साहा कढाएया बेहमनां तों भला थित महूरत ते वार मियां
नावीं सावनों रात सी वीर वारी लिख घलया एह दिन वार मियां
पहर रात नूं आन नकाह लैना ढिल लावनी ना जिनहार<ref>तुरंत</ref> मियां
उत्थे खेड़यां पुज समान कीता होये सियाल वी तुरत नयार मियां
वारस शाह सरबालड़ा नाल होया हथ तीर गानाते तलवार मियां
शब्दार्थ
<references/>