भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"191 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:36, 31 मार्च 2017 के समय का अवतरण
लाल लुंगियां अते मताअ लाचे नाल रेशम खेस सलारियां ने
माणक चौंक पटामलां डोरिए सन बूंदा होर पंजदानियां सारियां ने
चोंप छैला ते चार सुतये सन चंदा मोरां दे बान्हणू<ref>बारीक मलमल के दुपट्टे</ref> कारियां ने
सालू तीहरे चादरां बाफते दीयां नाल भोशनां दे फुलकारियां ने
वारस शाह चिकनी सिरोपाउ खासे ते पाष्ठाकियां मिलदया भारियां ने
शब्दार्थ
<references/>