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"216 / हीर / वारिस शाह" के अवतरणों में अंतर

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17:14, 3 अप्रैल 2017 के समय का अवतरण

तैनूं हाल दी गल मैं लिख घलां तुरत हो फकीर तै आवना ईं
किसे जोगी दा जा के बनी चेला सवाह लाके कन पड़वावना<ref>कान फड़वाना</ref> ईं
सभो जात सफात बरबाद करके अते ठीक तैं सीस मुणावना ईं
तू ही जीउंदियां दईं दीदार सानूं असां वत न जीउंदियां आवना ईं
यारी तोड़ निभावनी दस सानूं वारस एह जहान छड जावना ईं

शब्दार्थ
<references/>